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"नव बसंत को आना है"


हर सांस व्याकुल सी रहती है, 
 हर आस व्याकुल सी रहती है, 
 उस नव प्रभात को आना है, 
 उस नव बसंत को आना है।
 नीरव धरती- नीरव मन, 
अब आस यही सब साधे हैं, 
 आने वाला वह नवप्रभात, 
बस राह उसी के आगे है। 
 टूटे पत्ते, टूटे मन 
 गिरती शाखा विचलित तन, 
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