
इक पल रहा था खाब में और आँख खुल गई
कुछ चल रहा था खाब में और आँख खुल गई
मौला सभी मुहब्बतों की खेर हो यहाँ.........
दिल जल रहा था खाब में और आँख खुल गई
सब रंजिश
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इक पल रहा था खाब में और आँख खुल गई
कुछ चल रहा था खाब में और आँख खुल गई
मौला सभी मुहब्बतों की खेर हो यहाँ.........
दिल जल रहा था खाब में और आँख खुल गई
सब रंजिश