
कुदरत के आगे सब मजबूर हैं
कुदरत के आगे ना चला किसी का ज़ोर है
जब जब इंसान को तकब्बुर हुआ
यह कुदरत ने तोड़ा उसका भरम है
ना देखी जाती किसी की
ना देखा किसी का धरम Read More! Earn More! Learn More!
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कुदरत के आगे ना चला किसी का ज़ोर है
जब जब इंसान को तकब्बुर हुआ
यह कुदरत ने तोड़ा उसका भरम है
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