Kudrat's image

कुदरत के आगे सब मजबूर हैं

कुदरत के आगे ना चला किसी का ज़ोर है

जब जब इंसान को तकब्बुर हुआ

यह कुदरत ने तोड़ा उसका भरम है 

ना देखी जाती किसी की

ना देखा किसी का धरम 

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