
ख्वाहिशें मुझसे कहने लगी
कैसी ये तेरी दिल्लगी
ज़रा इश्क़ का इज़हार कर
अपने जज़्बात तू बयान कर
ना रख अरमानों को दबाकर
पलकों पे ख़्वाब सा सजाकर
ये वक़्त गुज़र ही जाएगा
फिर लौट के ना आएगा
किसी मंज़िल की तलाश में
तेरा दिलबर भी निकल जा
Read More! Earn More! Learn More!