Sachhi Puja's image

This poem in Hindi brings Sachhi Pooja, the difference between a religious person and a spiritual person.


आज मैने कुछ देखा है,

आज मैने कुछ झांका है,

आज मैने कुछ पाया है।


कहते हुए आती शर्म है,

पर कहना मेरा धर्म है।


उपर गगन नीचे धरती है,

उत्तुग हिमालय और गंगा है।

यह सब तो निर्मल है,

हम ही क्यों इतने निर्बल है?


बात बात में रोना क्यों?

किसीके पीछे धोना क्यों?

ईर्ष्या से मन खोना क्यों?

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