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एक निशानी हूँ मैं – हिंदी कविता

एक निशानी हूँ मैं – हिंदी कविता


रख सकों तो एक निशानी हूँ मैं

खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया

वो एक बूंद आँख का पानी हूँ मैं…


सबको प्यार देने की आदत है हमें

अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें

कितना भी गहरा जख़्म दे कोई

उतना ह

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