
मेरा कोन है यहाँ? कोन?
कोई ना नज़र आता है..
ना पास बुलाता है..
नाहीं कोई सीने से लगता है..
मैं किस लिए जी रहा हूँ?
किसके लिए?
किसके सहारे?
किस कारण से?
कोन है जो मेरे ना होने पर
शोकाकुल होगा?
कुछ पल ही सही,
पर व्याकुल होगा?
कोन है जिसे मेरी कमी खलेगी?
कुछ देर ही सही,
क्या किसी की ज़िंदगी
मेरे बिन थमेगी?
पल भर में, मैं,
मेरी हस्ती, मारा वजूद
सब लुप्त हो जाएगा,
वक्त के अनंत अंधकार में
कही गुप्त हो जाएगा
मैं तो खैर सभी का होकर
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