
आज दिल फिर से, कुछ उदास सा है..
आज दिल फिर से, कुछ हताश सा है..
राहें क्यों कर ये मोड़ लेती है?
ऐ ज़िंदगी-
जाने तू किस गुनाह की सज़ा देती है?
दिल के टुकड़ों को आज फिर से बाँटा है..
छल्ली दिल को आज फिर से काटा है..
दिलों-धड़कन को फिर से छोड़ चला..
जाने क़िस्मत का क्या इरादा है..
ज़िंदगी तेरा इस ग़म से अजीब वादा है..
जाने किस ब्याज़
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