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एक अधूरी तलाश

बुलबुला ही तो हूं

हर क्षण अनंतर

बहती अविरल

जीवन गंगा का

लेकर उभरा रंग

रूप अनगिनत

बहता चालू अध्वंगा सा


है वर्षों की ये काल यात्रा

उस सागर की तलाश में,

हूं अतृप्त, और जो पूरी

कर दे प्यास एक श्वास में


मेरा होना ही प्यास है,

दुख है , संघर्ष है ,

सुख की झुटी आस है

इस यात्रा में अर्जित भले

या बुरे सब संस्कार पास है

कलकत्ता व

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