एक तलाश's image
कल क्या होगा इसमें आज को खो रहा हूं मैं 
कुछ और होने की कोशिश में कुछ और हो रहा हूं मैं
 क्यों अब यह शाम गुनगुनाती नहीं 
क्यों रात मुझे देख कर मुस्कुराती नहीं 
जागने की ख्वाहिशों में अकेला सो रहा हूं मैं 
कुछ और होने की कोशिश में कुछ और हो रहा हूं मैं
 क्यों यह हवाएं मुझ से मुंह फेर लेती हैं
 क्यों भीड़ में तनहाई मुझे घेर लेती है 
इस शख्सियत के किरदार को क्यों ढो रहा हूं मैं
 कुछ और होने की कोशिश में कुछ और हो रहा हूं मैं 
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