
तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
शाम है तू,उजालों की दुनियाँ हूँ मैं
जबाब मयस्सर हों तो आना कभी
अनगिनत सवालों की दुनियाँ हूँ मैं
मेरी महफ़िल मे सच हार जाता है
झूठों की,दलाल
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तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
शाम है तू,उजालों की दुनियाँ हूँ मैं
जबाब मयस्सर हों तो आना कभी
अनगिनत सवालों की दुनियाँ हूँ मैं
मेरी महफ़िल मे सच हार जाता है
झूठों की,दलाल