खामोशी से कमजर्फों की तरह हम's image
295K

खामोशी से कमजर्फों की तरह हम

खामोशी से कमजर्फों की तरह हम

टूटते रहे हरपल हर्फ़ों की तरह हम


तेरी चाहत का जजिया जमाने को

चुकाते हैं रोज कर्जों की तरह हम


तेरी नजरों मे थोड़े ही सही लेकिन

बुलंद रहेंगे सदा,दर्जों की तरह हम


महर माफ किए तूने मगर फिर भी

अदा करते रहे फर्जों की तरह

Read More! Earn More! Learn More!