![नाइंसाफी's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40manvendra-rana/None/IMG_20210926_204321_26-09-2021_20-45-44-PM.png)
चलता रहा ख्वाबों का कारवां, कि
बंदिशों से परे कहीं तो नूर होगा,
वाह रे खुदा जिस्म को साए की भी संगत न थी।
सुरमई भी छुप गई कहीं चिलमन में,
रौशनी को कायनात की भी बरकत न थी।
करता रहा चिराग से रौशन , कि
अंजान सफर में कहीं तो किन
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