![मरना मत मेरे दोस्त!'s image](/images/post_og.png)
अभी तुम तड़प रहे हो शायद,
खुद में झुलस रहे हो
आराम ही ढूंढ रहे हो ना?
कम हो जायेगी ये चुभन भी
थोड़ी हवा चलते ही।
अभी शायद तुम यकीन ना करो
मगर ये सामने जो घुप्प अंधेरा है
दरअसल हरे बाग हैं
फिर से दिखाई देंगे
सुबह होते ही।
कुहासा भी बरस जाएगा
हल्की सी गर्मी से
अंदर ही अंदर,
और फिर से
मन करेगा मुस्कुराने का।