मैं बड़ा हुआ हूँ ये बात सुनते सुनते कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी
पहले स्कूल, फिर कॉलेज और उसके बाद
जाने ही कितनी बार ये बात सुनी थी।
यही बात अनेक बुद्धिजीवियों ने,
विचारकों ने भी कई बार कही थी
यूँ तो ये बात नेताओं ने भी कही थी
कई बार, और जाने कितने मंचों से
बस जब वो ये बात कहते
तभी भरोसा डगमगाता था।
पर अन्यथा नेताओं के,
जब भी ये बात कही जाती
तब यही कहा जाता, आने वाली सदी
भारत की है, भारत के युवाओं की है
पंख लगा कर विज्ञान और तर्क के
अपने कर्म और विवेक से,
ले जाएंगे देश को आगे
यही बात कई बार कलाम ने भी कही थी
इसलिए भरोसा और विश्वास था।
आज पार कर लियें हैं इस सदी के बीस साल
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