रश्में जहां की निभाने को
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रश्में जहां की निभाने को Rashme jaha ki nibhane ko

ये रश्में जहां की निभाने को 
गैरों को अपना बनाना पड़ा 
दर्द दिल के जहां से छुपाने को 
मुस्कुरा कर के चेहरा दिखाना पड़ा 

वो नजरों में मेरे बसे इस कदर 
हम खुदा ही उन्हीं को समझने लगे 
तूफा की थोड़ी ज्यों आहट हुई 
छोड़ कश्ती में मुझको उतरने लगे 
डूबने से ये कश्ती बचाने को 
पतवार खुद से ही खेना पड़ा 

चांद से खूबसूरत है चेहरा तेरा 
ऐसी बातों से दिल को लुभाने ल
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