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जो मातृभूमि का ना हो पाया

मैंने गीत लिखे कई गजल लिखें
पर जज्बात न दिल के लिख पाया
जब लिखा शहीदों की कुर्बानी
इन आंखों में खून उतर आया

मैंने गीता, बाईबल, कुरान पढ़ा
पर खुद को कभी ना पढ़ पाया
जब पढ़ा शहीदों की गाथा
जीवन का मर्म समझ आया

हिंदू मुस्लिम सब भाई-भाई
पर भेद न दिल का मिट पाया
जब देश गुला
Tag: shayari और10 अन्य
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