खोखले रिवाज़ों से
दरकती बुनियादों से
आहत हो रहा हूँ
थोपी गई मान्यताओं से
धूमिल आशाओं से
गुमराह दिशाओं से
भ्रमित हो रहा हूँ
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खोखले रिवाज़ों से
दरकती बुनियादों से
आहत हो रहा हूँ
थोपी गई मान्यताओं से
धूमिल आशाओं से
गुमराह दिशाओं से
भ्रमित हो रहा हूँ