
नित नए इम्तिहान मिले
नित नए व्यवधान मिले
चलने को ज़मीं कम थी
हर कदम नए आसमान मिले
कभी गिर गिर के संभले
कभी लड़खड़ा
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नित नए इम्तिहान मिले
नित नए व्यवधान मिले
चलने को ज़मीं कम थी
हर कदम नए आसमान मिले
कभी गिर गिर के संभले
कभी लड़खड़ा