सर्द हवाओं ने फिर
मचाई तबाही है
तौबा तौबा करते
जान मुँह को आई है
ये कैसी सजा पाई है
पानी गर्म होता नहीं
चाय गर्म रहती नहीं
लफ्ज़ जम गए जैसे
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सर्द हवाओं ने फिर
मचाई तबाही है
तौबा तौबा करते
जान मुँह को आई है
ये कैसी सजा पाई है
पानी गर्म होता नहीं
चाय गर्म रहती नहीं
लफ्ज़ जम गए जैसे