
आसमां पे नज़र नहीं आजकल
औकात अपनी पहचान गए क्या
नज़र ज़मी पर रखके चल रहे हो
ठोकरों से सबक सीख गए क्या
बातों में अब वो तल्ख
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आसमां पे नज़र नहीं आजकल
औकात अपनी पहचान गए क्या
नज़र ज़मी पर रखके चल रहे हो
ठोकरों से सबक सीख गए क्या
बातों में अब वो तल्ख