पाषाण's image

कभी न कभी पूर्ण हो जाएगी

मन की ये अभिलाषा तेरी

कब तक भ्रम पालेगा पगले

व्यर्थ जा रही प्रतीक्षा तेरी


राम नहीं कोई इस युग में

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