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नजर ए इनायत

चल तो रहे थे अपने ही रास्ते

कुछ अपने कुछ अपनों के वास्ते

दर्द था कि बिन बुलाए चला आया

साथ हो लिया आहिस्ते आहिस्ते


मुझे डगमगाने की कोशिशों में

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