
लाज शर्म तो गहना था
उस स्त्री ने भी पहना था
भरी सभा में अपनों ने जब
उसकी लाज उतारी थी
छोटे बड़े अपने परायों में
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लाज शर्म तो गहना था
उस स्त्री ने भी पहना था
भरी सभा में अपनों ने जब
उसकी लाज उतारी थी
छोटे बड़े अपने परायों में
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