
बोझ सॄष्टि का उठाती हूँ
धीर हूँ इसलिए धरती हूँ
भीतर क्रोध का कंपन है
ऊपर से शांत दिखाती हूँ
धधकते लावे की जलन को
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बोझ सॄष्टि का उठाती हूँ
धीर हूँ इसलिए धरती हूँ
भीतर क्रोध का कंपन है
ऊपर से शांत दिखाती हूँ
धधकते लावे की जलन को