कच्चे धागे's image
162K

कच्चे धागे

बार बार पढ़ने को जी चाहे

सिरहाने रखी किताब हो तुम

नित नए सिरे से लिखी जाए

ऐसी अधूरी कविता हो तुम


कच्चे धागों

Read More! Earn More! Learn More!