छोड़के काम काज की उलझन
सब धाय पड़े सुन बंसी की धुन
तन का होश ना जग की चिंता
तेरे सानिंध्य में ही मन रमता
खोय बैठे सब अपनी सुधबुध
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छोड़के काम काज की उलझन
सब धाय पड़े सुन बंसी की धुन
तन का होश ना जग की चिंता
तेरे सानिंध्य में ही मन रमता
खोय बैठे सब अपनी सुधबुध