कितना धैर्य धर ती है धरती
कितनों का बोझ उठाती है
कितना व्याकुल हैआसमां
यूँ ही गरजा बरसा करता है
ज़मीं-आसमां मिलकर दोनों<
Read More! Earn More! Learn More!
कितना धैर्य धर ती है धरती
कितनों का बोझ उठाती है
कितना व्याकुल हैआसमां
यूँ ही गरजा बरसा करता है
ज़मीं-आसमां मिलकर दोनों<