दहलीज़ पर खड़ा
स्वागत करता दरबान हूँ
घर की औकात नहीं
बाहर ही पड़ा हूँ
सम्मान का भूखा
मैं एक पायदान हूँ
ज़मीन पर पड़े पड़े
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दहलीज़ पर खड़ा
स्वागत करता दरबान हूँ
घर की औकात नहीं
बाहर ही पड़ा हूँ
सम्मान का भूखा
मैं एक पायदान हूँ
ज़मीन पर पड़े पड़े
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