
मन बहुत ही मनचला है
अपनी पे भी कहाँ टिका है
धरती पर पाँव जमे नहीं
बिन पंखों के उड़ा फिरा है
बुद्धि बड़ी विवेकशील है
सही गलत में फँसी रही है
मन वर्तमान में सुख ढूँढे है
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मन बहुत ही मनचला है
अपनी पे भी कहाँ टिका है
धरती पर पाँव जमे नहीं
बिन पंखों के उड़ा फिरा है
बुद्धि बड़ी विवेकशील है
सही गलत में फँसी रही है
मन वर्तमान में सुख ढूँढे है
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