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तू आगे बढ़


ना उम्मीद की बेड़ी तोड़ कर उम्मीद जगा तू
आगे बढ़।
पथ पर जो कांटे बिछें है उनको हटा तू
आगे बढ़।
घर में जो छाया अंधेरा है उसे मिटा तू
आगे बढ़।
क्यों जग के ताने सहे कुछ बात बना तू
आगे बढ़।
मुश

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