
मैंने हर बार रख दिया है
खुद को पूरा-का-पूरा खोलकर
खुला - खुला - सा बिखरा हुआ
पड़ा रहता हूं
कभी तुम्हारे घुटनो पर
कभी तुम्हारे पलकों पर
तो कभी ठीक तुम्हारे पीछे।
बिखरने के बाद का
सिमटा हुआ - सा मैं
' था ' से लेकर ' हूँ ' तक
पूरा - का - पूरा जी लेता हूं ख़ु
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