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करच-करच, खरच-खरच...

कोई पीछे खड़े होकर कहता है... खरगोश... मेरे दोनों कान खड़े हो जाते है। शिकारी ढूढ़ने का गुण मेरे खून में है। भागकर अपने कोनों में छुप जाना मेरा हथियार है। कोनों में दुबके हुए शिकारी की कल्पना, मेरा खेल है। मेरा कोना जिस घर में है... उसमें गाजर का आगन है। भूखे पेट मर जाने से, शिकारी का सामना करने का इतिहास मैंने रटा है। इतिहास को तोड़-मरोड़कर... मैं चोर हो जात
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