
इश्क़ ने तेरे वो कमाल किया
मेरी हस्ती को बेमिसाल किया
मेरी तन्हाइयाँ भी गूँज उठीं
जब कभी तुझको हमख़याल किया
चाँद को देखते रहे शब भर
हिज्र को तेरे यूँ विसाल किया
उम्र ग
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इश्क़ ने तेरे वो कमाल किया
मेरी हस्ती को बेमिसाल किया
मेरी तन्हाइयाँ भी गूँज उठीं
जब कभी तुझको हमख़याल किया
चाँद को देखते रहे शब भर
हिज्र को तेरे यूँ विसाल किया
उम्र ग