बुरा ये दौर है सब असलहे इतरा रहे हैं's image
537K

बुरा ये दौर है सब असलहे इतरा रहे हैं

बुरा ये दौर है सब असलहे इतरा रहे हैं 

के उनके डर से ज़िंदा आदमी घबरा रहे हैं


करें उम्मीद किससे तीरगी के ख़ात्मे की

उजाले ख़ुद ही रह-रहकर के ज़ुल्मत ढा रहे हैं


खज़ाना है सभी के पास रंगीं हसरतों का 

सुकूँ के चंद सिक्के फिर भी क्यूँ ललचा रहे हैं


सहारा झूठ का लेते हैं जो हर बात पर वो 

हमें सच बोलने के फ़ायदे गिनवा रहे हैं


उधर चुपचाप लूटे जा रही सब कुछ सियासत

इधर हम खुल के नग्में इन्क़लाबी गा रहे हैं


यूँ कब तक सिर्फ़ हंगामों से बहलाओगे यारों 

Tag: hindipoetry और3 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!