माफी मांगी नहीं तुमने एक दफा,
किस हक से इख्तियार करते हो ?
धिक्कार है ऐसी वफा,
जिसकी तुम प्रदर्शनी करते हो ।
कमज़ोर हैं हम थोड़े, कब तक हों खफा,
तकल्लुफ की अदा कहा सीखे थे ?
कितनी भी टूटी हो जफा,
सिल रखी है जुबान, बयान हम कहां करते हैं।
माफी मांगी नहीं तुमने एक दफा,
किस हक से इख्तियार करते हो ?
धिक्कार है ऐसी वफा,
जिसकी तुम प्रदर्शनी करते हो ।
कमज़ोर हैं हम थोड़े, कब तक हों खफा,
तकल्लुफ की अदा कहा सीखे थे ?
कितनी भी टूटी हो जफा,
सिल रखी है जुबान, बयान हम कहां करते हैं।