#चल घर अब रात हो गई है।
सुब्ह अब नहीं होगी रात से बात हो गई है।।
#अब नहीं मिलती पुरज़ोर मुझसे।
क्या किसी औऱ से मुलाकात हो गई है।।
#अभी औऱ उगलने थे राज मुझको।
क्या कहा शराब ख़त्म हो गईं है।।
#नहीं रहे अब राजदारों मे राज।
दोस्ती मे ईमानदारी ख़त्म हो गईं है।।
#छालें है पर रुकते नहीं कदम।
क्या मंजिल नाराज़ हो गईं है।।
#रात मे नींद न दिन मे चैन बेदख़ल।
दिन रात मे, रात दि
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