#न जाने तुम किस सोच मे हो
मै तो अपनी ही सोच मे रहा।।
#सुन के भी अनसुनी की गईं
कहा तो बस कहता ही रहा।।
#बस इक जवाब के वास्ते
न यहाँ का रहा न वहाँ का रहा।।
#मुबारक़ मिली मंजिल जिसे
मै कारवां था कारवां ही रहा।।
#महफ़िल त
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मै तो अपनी ही सोच मे रहा।।
#सुन के भी अनसुनी की गईं
कहा तो बस कहता ही रहा।।
#बस इक जवाब के वास्ते
न यहाँ का रहा न वहाँ का रहा।।
#मुबारक़ मिली मंजिल जिसे
मै कारवां था कारवां ही रहा।।
#महफ़िल त