रोज़ गार्डन से सफर तेरा ओयो तक
प्यार क्या खाक करोगे।
सूरज के सपने देखते हो,
तुम जुगनू के मानिंद
गुलजार क्या खाक करोगे।
पैसे अब पेड़ पर नही पेटीएम पर लगते हैं।
इनकार क्या खाक करोगे!
तुम यूं जो मचलते हो दिन रात,
सबको सब पता है,
बेकरार क्या खाक करोगे।
व
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