बहते हुए पानी पर
पानी से पानी लिखना ही
असली आलोचना है।
शब्दों के दरम्यान जो फासले हैं
उनको कुरेदकर असली अर्थ की
जड़ तक पहुंचना ही आलोचना है।
चुप्पी में भी शब्द
पानी से पानी लिखना ही
असली आलोचना है।
शब्दों के दरम्यान जो फासले हैं
उनको कुरेदकर असली अर्थ की
जड़ तक पहुंचना ही आलोचना है।
चुप्पी में भी शब्द
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