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आरजू और ख्वाब

यार–ए–दुनिया ने आजमाया है
यादों में कुछ अजीज खोया है

गुजरे हैं कई मुसाफिर इस राह से,
हर इक ने हाल-ए-दिल सुनाया है।

तहज़ीब इश्क की हो हीर जैसी,
तो रांझा कुदरत ने तुमें बुलाया है।

इश्क पंखे से लटका रह गया,
 मातम दुनिया ने मनाया है। 
 
कुछ आरजुओ के सिवा मैने,
दुनिया में और क्या कमाया है।
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