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गंगा - ब्रह्मपुत्र

परस्पर उत्पत्ति का स्त्रोत हिमालय 
गंगा - ब्रह्मपुत्र का आरंभ शिवालय!

वे सर्वदा संग - संग नहीं बहते
बेफिक्र, संतोषमय,
अपनी प्रत्येक धारा में प्रसन्नचित,
एकाकी बहते हैं...
और बनाते हैं हरित आवरण,
चलते जाते हैं,अपने -अपने रास्ते
परंतु उनकी उत्पत्ति का स्त्रोत 
एक ही है ...हिमालय!
और मिलन का परिणाम भी एक... मेघना!

उनका मिलना मानो 
प्रसिद्ध भौगोलिक रचना!
जैसे गंगा, छुपा लेती है ब्रह्मपुत्र को 
पुत्र सा प्रेम देते हुए
अपने वा
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