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सपने और हकीकत

आँखों में बसे उन सपनों को,
हकीकत में उजड़ते देखा मैंने।
जो कल तक थे साथ मेरे,
आज दूर हो गए, जो थे अपने।

कभी न सोचा कभी न चाहा,
ऐसे इल्जाम मुझ पर लगेंगे।
जरूरत किसे नहीं होती दुनिया में।
इसलिए अपने, सपने भी बेच देंगे।

समय का पहिया चलते रहता

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