
बेबस हमारी याद में रोते हो रातभर,
जागे हो या कि जागकर सोते हो रात भर।।
लो उम्र भर का फासला लम्हों में मिट गया,
फिर क्यों अश्क़ों से दामन भिगोते हो रात भर।।
न राह से हटा हूँ न मंजिल तक पहुंचा हूँ,
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बेबस हमारी याद में रोते हो रातभर,
जागे हो या कि जागकर सोते हो रात भर।।
लो उम्र भर का फासला लम्हों में मिट गया,
फिर क्यों अश्क़ों से दामन भिगोते हो रात भर।।
न राह से हटा हूँ न मंजिल तक पहुंचा हूँ,