हमे फूल बनाने से पहले
उस पेड़ ने कितने दर्द सहे
आँधी,तूफ़ा या हो बारिश
हर जख़्म बिना कुछ कहे सहे
भरी दुपहरी जला है वो
हमें छाव में रखने के लिए
रहे सलामत मुस्कान हमारी
इसलिए दिन रात संघर्ष किये
अभिलाषा बन इतनी भर
जो नहीं पा सका जीवन भर
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