
ढलती शाम में तुम्हारा नाम तो होगा
हमसे क्या पूछते हो....
नदी का क्या अपना किनारा नहीं होगा
बदलती रुत है जाना...
मग़र रेत का सागर से
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ढलती शाम में तुम्हारा नाम तो होगा
हमसे क्या पूछते हो....
नदी का क्या अपना किनारा नहीं होगा
बदलती रुत है जाना...
मग़र रेत का सागर से