तृषा's image

कब तुमने श्रृंगार किया था

कब दर्पण में मुख देखा था

जीवन की विकल तृषा में

तो ही तुमने सुख देखा था।

यह सावन आकांक्षित है!!

एक युग से मुझे प्रतीक्षित है

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