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तेरे शहर से दूर गुज़ारा नहीं हो सकता..

ऐसा क्या हैं हमारे बीच कि वो हमारा नहीं हो सकता

मैं कभी उसका नहीं हो सकता वो मेरा नहीं हो सकता


अंजान शहर में भी नज़रें तलाश करती हैं तुझको

तेरे शहर से दूर हो कर गुज़ारा नहीं हो सकता


मुद्दतों बाद भी तुम्हारा कब्ज़ा हैं ख़्याल पर मेरे

एक ख़्याल शख़्स का आसरा नहीं हो सकता


तुझ सा बे - नज़ीर ना होगा इस ज़माने में कोई

इस जहां में हम सा कोई नकारा नहीं हो सकता


बड़ी ही नज़ाकत से तकती हैं मेरी नजरें तुझ को

तेरे चेहरे से

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