
जिन सभी के लिए हम अपनी जान लुटाते जावें हैं
वहीं लोग हमें बीतें दिनों के समान भुलाते जावें हैं
मां अपने बेटे को रोकन लई कई तरकीब लगावें हैं
बापू भी पूत नू रोकन लई कईयों बहाने लावें हैं
उस राह पर चल पड़ा हैं एक मां - बाप का बेटा
जिस राह से कम ही मांओं के बेटे लौट के आवें हैं
दे गया वो अपनों की आंखों में आंसू जाते - जाते
उसकी आंखों में ज़रा सा भी खौफ़ नज़र न आवें हैं
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