
दिल की तस्कीं के खातिर तेरी तस्वीर देखता हूं में
ख़ुद ही किया था वफ़ा तुझ से ख़ुद ही पशेमांँ हूं में
नशात-ए-मोहब्बत न मिला बा'द-अज़-मर्ग सुकून मिले
कुछ तो बोल सुकून-ए-रिफ़ाक़त से न विदा चाहता हूं में
मुझे सर -ब -सर तेरा होने की चाह हैं शोख़ सितमगर
अपना बना के रख ले मुझे या चाहता तुझसे नज़ात हूं में
दीदा-ए-नम भी देख तुम्हें अहवाल-ए-दिल पता न लगा
जानी क्यूं कद्र होगी हमारी तुम्हारे लिए तो ग़नीमत हूं में
Read More! Earn More! Learn More!